बुधवार, 16 सितंबर 2009

उत्तरी खीरी संरक्षित क्षेत्र में शामिल


देश में बाघों की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए बाघों के संरक्षण के लिए शुरू की गई 'टाइगर परियोजना' को बढ़ावा देने वाले एक महत्वपूर्ण निर्णय में उत्तरप्रदेश सरकार ने 150 किमी लम्बे और 25 किमी चौड़े दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से सटे उत्तरी खीरी इलाके को 'संरक्षित क्षेत्र' में शामिल करने की सहमति दे दी है।जिला वन संरक्षक कार्तिक कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने उत्तरी खीरी इलाके को दुधवा पार्क के 'बफर जोन' में शामिल करने की सहमति दे दी है और इस बाबत एक विस्तृत परियोजना शासन की सहमति के लिए भेजी जा चुकी है।उन्होंने बताया कि 'बफर जोन' में शामिल होने के बाद उत्तरी खीरी इलाके में लोगों की आवाजाही पर पांबदी लगाई जाएगी। तीन हजार किमी लम्बे क्षेत्र में फैला उत्तरी खीरी न सिर्फ दुधवा बल्कि कई और संरक्षित क्षेत्रों के मध्य में है जिसमें नेपाल का शुक्ला फैन्टा वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र, बहराइच में स्थित कतर्निया घाट प्रस्तावित टाइगर रिजर्व और किशनपुर संरक्षित क्षेत्र शामिल है।दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के उप क्षेत्रीय निदेशक पीपी सिंह ने बताया कि उत्तरी खीरी मंडल में वन्य जीवों जिसमें चीते, गैंडे, तेंदुए और हाथी शामिल हैं के आवागमन को ध्यान में रखते हुए नया 'बफर जोन' बनाने का निर्णय किया गया था।उन्होंने बताया 'बफर जोन' में शामिल होने के बाद उत्तरी खीरी का क्षेत्र प्रोजेक्ट टाइगर के अन्तर्गत भी आ जाएगा जिससे वहाँ पाए जाने वाले वन्य जीवों के संरक्षण में ज्यादा सहूलियत होगी।जिला वन्य संरक्षण अधिकारी सिंह का कहना है कि पर्यटन विभाग ने भी इस परियोजना में अपनी दिलचस्पी दिखाई है और एक विस्तृत रिपोर्ट माँगी है।वन्य जीव संरक्षण से जुड़े पर्यावरणविद् विजय प्रकाश सिंह का कहना है कि 'बफर जोन' बन जाने से उत्तरी खीरी इलाके में अतिक्रमण की समस्या दूर हो जाएगी। इससे वन्य जीवों को खतरा पैदा होता है।वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार संरक्षित क्षेत्रो को दो भागों मे बाँटा जाता है जिसमें से एक 'कोर जोन' और दूसरा 'बफर जोन' कहलाता है।'कोर जोन' में किसी भी तरह की गतिविधि की मनाही होती है जबकि 'बफर जोन' में मनुष्यों के आवागमन और किसी भी तरह के अतिक्रमण पर पाबंदी रहती है।

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